Tipu Sultan History in Hindi – Tipu Sultan biography in Hindi, Tipu Sultan story in Hindi, DOB, birthplace, family, death, and more. (टीपू सुल्तान का इतिहास हिंदी में – टीपू सुल्तान की जीवनी हिंदी में, टीपू सुल्तान की कहानी हिंदी में, जन्मतिथि, जन्मस्थान, परिवार, मृत्यु और बहुत कुछ..)
अगर आप राजा महाराजाओं के बारे में जानना पसंद करते है, तो भारत के ही प्रसिद्ध और चर्चित शासक टीपू सुल्तान के बारे में तो आपने सुना ही होगा और क्यों नहीं, अगर इतिहास के पन्नो को पलटा जाये तो टीपू सुल्तान का नाम आपको जरूर मिलेगा। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ युद्ध में अपनी बहादुरी के लिए प्रसिद्ध तथा अपनी वीरता और साहस के लिए जाने जाते टीपू सुल्तान ने अंग्रेजो को घुटने ला खड़ा किया था। तो आईये जानते ऐसे महँ शासक के इतिहास पर एक नज़र डालते है।
टीपू सुल्तान कौन था? | Who was Tipu Sultan?
टीपू सुल्तान एक परिश्रमी शासक मौलिक सुधारक और अच्छे योद्धा थे, जिनका पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब था। इनका जन्म 20 नवंबर 1750 को कर्नाटक के देवनाहल्ली अब (बेंगलुरु) में हुआ था। उनके पिता का नाम हैदर अली था, जो मैसूर साम्राज्य के एक सैनिक थे, और 1761 में मैसूर के शासक बने। अग्रेजो के खिलाफ अपनी वीरता से प्रभावित करने वाले टीपू सुल्तान के पिता हैदर अली ने उन्हें शेर-ए-मैसूर के खिताब से नवाजा था। पिता की मृत्यु के बाद टीपू सुल्तान को 1782 में मैसूर की गद्दी और शासक बनाया गया।
जब टीपू सुल्तान ने 1782 में मैसूर की गद्दी संभाली तो, उन्होंने शासक के रूप में, अपने कार्यकाल के दौरान कई नये परिवर्तन किये। इस दौरान टीपू सुल्तान ने लोहे से बने मैसूरियन राकेट का भी विस्तार किया, जोकि बाद में ब्रिटिश सेना के के खिलाफ तैनात किया गया था। और अपने पिता का बदला लेने के लिए अंग्रेजो को धूल चाटने में कोई कसर नहीं छोड़ी, एक समय के लिए टीपू सुल्तान ने ब्रिटिश सेना की हुकूमत अपनी मुट्ठी में कर ली थी, इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है, की जब टीपू सुल्तान की मृत्यु हुई तो अग्रेजो ने पुरे भारत पर अपना कब्ज़ा कर लिया था। इसलिए आज टीपू सुल्तान का नाम इतिहास के चर्चित नामो में से एक गिना जाता है।
टीपू सुल्तान की जानकारी | Tipu Sultan information in hindi
पूरा नाम | सुल्तान सईद वाल्शारीफ़ फ़तह अली खान बहादुर साहब टीपू |
नाम | टीपू सुल्तान |
जन्म | 20 नवंबर 1750 |
जन्म स्थान | कर्नाटक के देवनाहल्ली अब (बेंगलुरु) |
शासक | मैसूर |
प्रसिद्ध | ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ बहादुर और कटु विरोध के लिए। |
माता-पिता | पिता हैदर अली माता फातिमा शेखर उन निशा |
पत्निया | खदीजा जमान बेगम और 2 या 3 अन्य |
बच्चे | गुलाम मुहम्मद सुल्तान साहब शहजादा हैदर अली मुहम्मद जमाल-उद-दीन खान सुल्तान और अन्य 12 |
राज्याभिषेक | 29 दिसम्बर 1782 |
शासनावधि | 10 दिसम्बर 1782 – 4 मई 1799 |
मृत्यु | 4 मई 1799 (उम्र 48) |
समाधि | श्रीरंगपटना, वर्तमान मांड्या, कर्नाटक |
धर्म | इस्लाम |
टीपू सुल्तान के जीवन की कहानी | Tipu Sultan life story in hindi
मैसूर के टाइगर कहे जाने वाले टीपू सुल्तान का जन्म 20 नवंबर सन 1750 को देवनहल्ली शहर, जिसे अब (बेंगलौर) , के नाम से जाना जाता है, कर्नाटका में हुआ। टीपू सुल्तान के पिता का नाम हैदर अली था, जोकि दक्षिण भारत में मैसूर के साम्राज्य के एक सैन्य शासक थे, वही टीपू सुल्तान की माँ का नाम फातिमा शेखर उन निशा था। टीपू सुल्तान अपने पिता हैदर अली से कद में छोटे थे, और उनका रंग काला था, और उनकी आंखें बड़ी-बड़ी थी ,वे वजन में बहुत हल्के पोशाक पहना करते थे।
टीपू सुल्तान के पिता हैदर अली के सन 1761 मैसूर के साम्राज्य शासक के रूप में मैसूर राज्य में शासन किया, दक्षिण भारत में एक प्रख्यात शासक बन गए। हैदर अली, को ज्यादा पड़ना लिखना नहीं आता था लेकिन उन्होंने अपने ज्येष्ठ पुत्र (सबसे बड़े बेटे) टीपू सुल्तान को अच्छी शिक्षा दिलवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिसका नतीजा यह निकला की टीपू सुल्तान ने बहुत से विषयों जैसे हिन्दुस्तानी भाषा (हिंदी – उर्दू), फारसी, अरेबिक, कन्नड़, क़ुरान, इस्लामी न्यायशास्त्र, घुड़सवारी, शूटिंग और तलवारबाजी जैसे भाषा और कलाबाजी की शिक्षा प्राप्त की।
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टीपू सुल्तान का इतिहास | Tipu Sultan History in Hindi
टीपू सुल्तान के हुनर को उनके पिता ने शराहना की, वही टीपू सुल्तान एक कुशल योद्धा और वीरता के बल पर अपने पिता का साथ देने किये, अग्रेजो के खिलाफ बगावत कर दी और केवल 15 साल उम्र में उन्होंने सन 1766 में हुई ब्रिटिश के खिलाफ मैसूर की पहली लड़ाई में अपने पिता का साथ भरपूर साथ दिया, जिसके बाद हैदर अली टीपू सुल्तान की वीरता से काफी प्रभावित हुए। वही हैदर अली अब पूरे दक्षिण भारत में सबसे शक्तिशाली शासक बनने के लिए प्रसिद्ध हो गए थे।
tipu sultan ( टीपू सुल्तान ) का मैसूर का शासक बनने का सफर तब शुरू जब अंग्रेजों ने सन 1779 में,फ़्रांसिसी नियंत्रित बंदरगाह पर अपना निंयत्रण कर लिया और तब हैदर अली ने 1780 में प्रतिशोध लेने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की शुरुआत कर दी, द्वितीय एंग्लो – मैसूर युद्ध के रूप में एक अभियान चलाया, जिसमें उन्होंने महत्वपूर्ण सफलता हासिल की सन 1782 में टीपू सुल्तान के पिता हैदर अली की मृत्यु हो गई।
टीपू सुल्तान का जीवन परिचय | Tipu Sultan Biography in Hindi
पिता हैदर अली की मृत्यु के बाद, उनके सबसे बड़े बेट को 29 दिसम्बर 1782 को टीपू सुल्तान का राजयभिषेक किया गया, जिसके चलते टीपू सुल्तान को मैसूर की गद्दी सँभालने को मिली, जो पहले उनके पिता हैदर अली संभाला करते थे। मैसूर साम्राज्य के शासक बनने के बाद, अपने पिता का बदला लेने के लिए टीपू सुल्तान ने मराठों और मुगलों के साथ हाथ मिलाया, जहाँ अंग्रेजो की जाँच के लिए सैन्य रणनीतियों पर जोर दिया। अंततः सन 1784 में टीपू द्वितीय एंग्लो – मैसूर युद्ध को ख़त्म करने के लिए अंग्रेजों के साथ मंगलौर की संधि पर हस्ताक्षर करने में सफल हुए।
यहाँ से कुछ सालो बाद ब्रिटिश सेना ने दुबारा 1790 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा टीपू सुल्तान पर हमला किया, यह तीसरा एंग्लो – मैसूर युद्ध था जहा ब्रिटिश सेना ने जल्द ही कोयंबटूर जिले कब्ज़ा कर लिया। लेकिन यह टीपू सुल्तान संत नहीं बैठे क्योकि इसके बाद युद्ध ने टीपू सुल्तान ने कार्नवालिस पर हमला किया, हालाँकि टीपू सुल्तान को युद्ध में नियत्रण करने का मौका नहीं मिला, जिसके बाद युद्ध 2 वर्षों तक जारी रहा और सन 1792 में युद्ध को समाप्त करने के लिए. इसके पश्चात टीपू सुल्तान ने श्रीरंगपट्टनम की संधि पर हस्ताक्षर करते हुए मंगलौर, मालाबार तथा अपने कई क्षेत्रो को अग्रेजो को सौपना पड़ा।
टीपू सुल्तान की मृत्यु | Tipu Sultan death story
इस युद्ध में टीपू सुल्तान को कई क्षेत्र के साथ साथ बहुत कुछ गवाना पड़ा, इस दौरान उनके साम्राज्य पर आर्थिक शंकट भी मंडरा रहा था। तभी सन 1799 में ईस्ट इंडिया कंपनी दुबारा टीपू सुल्तान के राज्य पर हमला किया, मैसूर की राजधानी श्रीरंगपट्टनम पर कब्जे के इरादे से आई ब्रिटिश सेना ने चौथा एंग्लो – मैसूर युद्ध छेड़ दिया, युद्ध में टीपू सुल्तान ने अपना सौर्य दिखया और कई अंग्रेजो को खदेड़ भगत, लेकिन वही दूसरी तरफ सुल्तान की सेना की हालत ख़राब हो चुकी थी, अकेले टीपू सुल्तान अपनी राजधानी को बचाने में लगे हुए थे, लेकिन दुर्भाग्य से ब्रिटिश सेना ने मैसूर की राजधानी श्रीरंगपट्टनम पर अपना कब्ज़ा कर लिया। इस चौथा एंग्लो – मैसूर युद्ध में ईस्ट इंडिया कंपनी ने टीपू सुल्तान की हत्या कर दी, और टीपू सुल्तान का 29 दिसम्बर 1782 – 4 मई 1799 शासनकाल समाप्त हो गया।
टीपू सुल्तान की सबसे बड़ी लड़ाई द्वितीय एंग्लो – मैसूर युद्ध माना जाता है, जहा टीपू सुल्तान अपने पिता के साथ बहादुरी से ब्रिटिश सेना पर विजय प्राप्त की और अग्रेजो को एक समय के लिए अपने पैरो में झुका दिया था।
FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
सुल्तान का जन्म कब हुआ था?
टीपू सुल्तान का पूरा नाम क्या है?
टीपू सुल्तान कौन से घराना से थे?
अंग्रेजी टीपू सुल्तान को खतरा क्यों मानते थे?
टीपू सुल्तान ने भारत के लिए क्या किया?
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नोट– यह संपूर्ण बायोग्राफी का क्रेडिट हम टीपू सुल्तान को देते हैं, क्योंकि ये पूरी जीवनी उन्हीं के जीवन पर आधारित है और उन्हीं के जीवन से ली गई है। उम्मीद करते हैं यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। हमें कमेंट करके बताइयेगा कि आपको यह आर्टिकल कैसा लगा?