Prithviraj Chauhan Biography in Hindi – अगर इतिहास के पन्नों में सबसे लोकप्रिय और भारतीय राजाओं की बात करे तो, पृथ्वीराज चौहान का नाम उनमे से एक लिया जाता है। पृथ्वीराज चौहान राजपूत वंश के सबसे शक्तिशाली योद्धा तथा प्रसिद्ध राजाओं में से एक थे। आज हम आपको पृथ्वीराज चौहान का जीवन, इतिहास, और उनकी वीरगाथा के शौर्य को विस्तार से बताएंगे। तो चलिए जानते है।
कौन हैं पृथ्वीराज चौहान? | Who is Prithviraj Chauhan?
पृथ्वीराज तृतीय जिन्हें मुख्य रूप से पृथ्वीराज चौहान के नाम से जाना जाता है। यह हिन्दू क्षत्रिय राजा थे, जो चौहान वंश के राजा थे। इनका जन्म साल 1166 में अजमेर के राजा सोमेश्वप चौहान के घर हुआ था। उन्होंने उत्तर भारत में 12 वीं सदी के उत्तरार्ध में अजमेर और दिल्ली पर राज किया था। पृथ्वीराज चौहान ने केवल 13 साल की उम्र में ही राजगढ़ की गद्दी संभाली और अंत में मुहम्मद गोरी को अपने शब्दभेदी बाण से मार दिया।
Prithviraj Chauhan information in Hindi | पृथ्वीराज चौहान के बारे में
name/नाम | पृथ्वीराज चौहान |
DOB/जन्म की तारीख | 1166 |
birthplace/जन्म स्थान | गुजरात |
work/कार्य | क्षत्रिय |
family/परिवार | पिता – सोमेश्वर माता – कर्पूरदेवी |
wife/पत्नी | संयुक्ता या संयोगिता |
Dynasty/राजवंश | चौहान वंश |
death/मृत्यु | 11 मार्च, 1192 |
death place/मृत्यु स्थान | अजयमेरु (अजमेर), राजस्थान |
age ( at the time of death) | 26 साल |
nationality/राष्ट्रीयता | भारतीय |
Prithviraj Chauhan story in Hindi | पृथ्वीराज चौहान की कहानी
राजपूत राजाओ में से एक पृथ्वीराज चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा थे। उनका जन्म सन 1166 को गुजरान में हुआ था। पृथ्वीराज चौहान के पिता का नाम सोमेश्वर चौहान था, एक भारतीय राजा थे, जिन्होंने उत्तर-पश्चिमी भारत में वर्तमान राजस्थान के कुछ हिस्सों पर शासन किया। वही उनकी माँ का नाम रानी कर्पूरादेवी था। 12 वीं सदी के उत्तरार्ध में अजमेर और दिल्ली पर राज करने वाले पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही कुशल योद्धा की झलक दिखाई देती थी। यही कारण है, की पृथ्वीराज तलवारबाजी, तथा तीरंदाजी करने में काफी कुशल थे।
पिता की मृत्यु के बाद 13 साल की उम्र में ही उन्होंने 11 वर्ष की आयु में 1178 में अपनी माँ के साथ अजमेर के राजगढ़ की गद्दी संभाली। समय के साथ साथ उन्होंने अजमेर के राजगढ़ की गद्दी बेखुबी संभाली, एक योद्धा के तोर पर उन्होंने युद्ध के कई गुण सीख थे। यही नहीं पृथ्वीराज चौहान छह अलग अलग भाषाओं का ज्ञान प्राप्त था, जिसमे उन्होंने संस्कृत, मागधी, प्राकृत, अपभ्रंश, पैशाची, और शौरसेनी भाषा तथा वेदान्त, पुराण, गणित, इतिहास, और चिकित्सा शास्त्र का भी ज्ञान था।
बचपन में ही कुशल योद्धा रहे सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने युद्ध के कई गुण सीख थे। उन्होंने अपने सभी गुण से लोगो को प्रभावित किया और शाबित किया की वह अपने की दी गई गद्दी को संभल सकते है। एक बार पृथ्वीराज ने बिना किसी हथियार के शेर को मार दिया था, जिसके बाद दिल्ली के शासक और पृथ्वीराज चौहान के दादा अंगम ने पृथ्वीराज चौहान के साहस और बहादुरी के चर्चे सुने तो वह प्रभावित हुए, जिसके बाद दादा अंगम ने पृथ्वीराज चौहान को दिल्ली के सिंहासन का उत्तराधिकारी घोषित किया।
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Prithviraj Chauhan history in Hindi | पृथ्वीराज चौहान इतिहास
दिल्ली राज सिंहासन की गद्दी संभालने के बाद पृथ्वीराज चौहान ने किला राय पिथौरा को बनवाया था, जो अब खड़हर हो चूका है। अगर पृथ्वीराज चौहान की बहादुरी के किस्से की बात करे तो, उन्होंने केवल 13 साल की उम्र में ही गुजरात के शक्तिशाली राजा भीमदेव को युद्ध में परास्त कर दिया था।
शक्तिशाली राजा पृथ्वीराज चौहान, चौहान वंश की शान थे, उन्होंने अपनी तरह सेना को शक्तिशाली और बलवान बनाया था। इनकी सेना में एक से के महारथी शामिल थे। जिसे पृथ्वीराज चौहान को और शक्तिशाली बनाते थे। उनकी सेना में , लगभग 3 लाख सैनिक, 300 हाथी के साथ साथ कई घोड़ो की विशाल सेना थी। इतिहास के सबसे प्रसिद्ध हिन्दू राजपूत राजाओं में से एक पृथ्वीराज चौहान का राज्य राजस्थान और हरियाणा तक फैला था।
इसी दौरान पृथ्वीराज चौहान को जयचंद की बेटी संयोगिता से प्रेम हो गया, जानकारी के लिए बता दे की “जयचंद कन्नौज के प्रसिद्ध राजा” थे। पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की शादी के लिए जयचंद राजी नहीं थे। तभी राजा जयचंद ने अपनी बेटी संयोगिता का स्वयंवर रखवाया, लेकिन यह बात राजा पृथ्वीराज चौहान को पता न थी, जिसके बाद वह खुद आकर संयोगिता को स्वयंवर से ही उठा ले गए और गन्धर्व विवाह किया। वे बात जयचंद को पसंद नहीं आई, जिसके बाद जयचंद ने पृथ्वीराज चौहान को अपना दुशमन मान लिया।
युद्ध में 17 बार हराया मुहम्मद गोरी को
असली लड़ाई तब शुरू हुई जब 12वीं शताब्दी के अंत तक ग़ज़नी आधारित ग़ोरी वंश ने चौहान राज्य के पश्चिम के क्षेत्र को नियंत्रित कर लिया था, मोहम्मद ग़ोरी ने सिंधु नदी को पार किया और मुल्तान पर कब्जा कर लिया। 1178 में उसने गुजरात पर आक्रमण किया, जिस पर चालुक्यों (सोलंकियों) का शासन था। हालाँकि पृथ्वीराज चौहान के सेना को ग़ोरी आक्रमण का सामना नहीं करना पड़ा क्योंकि गुजरात के चालुक्यों ने 1178 में कसरावद के युद्ध में मोहम्मद को हरा दिया था।
इस समय पृथ्वीराज चौहान बचपन के दोस्त चंदबरदाई पृथ्वीराज को खूब मानते थे,। उन्होंने महाकाव्य पृथ्वीराज रासो लिखा है। पहली बार युद्ध में सन 1191 में मुस्लिम शासक सुल्तान मुहम्मद शहाबुद्दीन गौरी ने पृथ्वीराज चौहान परास्त करना चाहा, लेकिन उसे मुँह की खानी पड़ी। लेकिन मुहम्मद गौरी दुबारा पृथ्वीराज चौहान पर हमला करता है, लेकिन उसे पता न था, उसका पाला राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान से पड़ा है, नतीजा गोरी को दुबारा हार का सामना करना पड़ा। चौहान ने युद्ध में मुहम्मद गौरी को 17 बार हराया। लेकिन इसके बाद भी बड़ा दिल रखते हुए पृथ्वीराज ने मुहम्मद गौरी को कई बार माफ कर दिया और छोड़ दिया।
Prithviraj Chauhan Biography in Hindi
कन्नौज के राजा जयचंद पृथ्वीराज को अपना दुश्मन माना करते थे, और यह बात जब मुहम्मद गोरी को पता चली तो मुहम्मद गौरी ने जयचंद की मदद ली, और अठारहवीं बार और युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया। इसके बाद उन्हें बंदी और उनके बचपन के दोस्त चंदबरदाई दोनों को ही कैद कर लिया गया। पृथ्वीराज चौहान की महम्मद गौरी ने सजा के तौर पर आखों को गर्म सलाखों से फोड़वा दिया।
इसके बाद मुहम्मद गौरी ने चंदबरदाई से पृथ्वीराज चौहान की अंतिम इच्छा पूछने के लिए कहा, पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही शब्दभेदी (केवल सुने हुए शब्द से दिशा का ज्ञान करके किसी को मारने ) बाण चलाने में माहिर थे। चंदबरदाई ने शब्दभेदी बाण कला की अंतिम ख्याइश पेश की। मुहम्मद गौरी को इस बात की जानकारी दी गई, जिसके बाद उसने कला प्रदर्शन के लिए इजाजत दे दी।
कैसे मारा मोहम्मद गोरी को
पृथ्वीराज चौहान को जहां पर अपनी कला का प्रदर्शन करना था, वहां पर मुहम्मद गौरी भी मौजूद था। पृथ्वीराज चौहान ने चंदबरदाई के साथ मिलकर मुहम्मद गौरी को मारने की योजना पहले ही बना ली थी। महफिल शुरू होने वाली थी तभी चंदबरदाई ने एक दोहा कहा- ‘चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान’।
इस दोहे को सुनने के बाद मोहम्मद गोरी ने जैसे ही शाब्बास’ बोला। वैसे ही अपनी आंखों को खो चुके पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गोरी को अपने शब्दभेदी बाण से मार दिया। इसके बाद पृथ्वीराज चौहान और चंदबरदाई ने दुर्गति से बचने के लिए एक दूसरे को मार दिया। ऐसे पृथ्वीराज ने अपने हार का बदला लिया, और पृथ्वीराज चौहान 1178–1192 तक शासन रहा।
FAQ | अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
पृथ्वीराज चौहान ने कितनी बार मोहम्मद गोरी को हराया?
पृथ्वीराज चौहान क्यों प्रसिद्ध थे?
पृथ्वीराज चौहान का जन्म कब हुआ?
पृथ्वीराज चौहान की कितनी पत्नियां थीं?
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नोट– यह संपूर्ण बायोग्राफी का क्रेडिट हम पृथ्वीराज चौहान को देते हैं, क्योंकि ये पूरी जीवनी उन्हीं के जीवन पर आधारित है और उन्हीं के जीवन से ली गई है। उम्मीद करते हैं यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। हमें कमेंट करके बताइयेगा कि आपको यह आर्टिकल कैसा लगा?