कहते है की अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा करना हो तो किस्मत का होना जरुरी नहीं है, मेहनत का होना जरुरी होना चाहिए है। आज के इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे की कैसे एक भारत के 18 वर्ष के लड़के ने दुनिया के नंबर वन चेस खिलाडी को चैस में दुविधा में दाल दिया। जी हां हम बात कर रहे है, R Praggnanandhaa जो हाल ही में काफी चर्चा में है। तो आइये जानते है इनके शुरूआती सफर के बारे में।
who is R Praggnanandhaa? | कौन हैं आर प्रगनाननंदा ?
रमेशबाबू प्रगनाननंदा जिन्हे आर प्रग्गनानंद के नाम से जाना जाता है। यह एक भारतीय शतरंज खिलाडी हैं, जिनका जन्म 10 अगस्त 2005 भारत में हुआ था। प्रगनाननंदा चेस के एक बेहतरीन खिलाडी है, उन्होंने 10 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय मास्टर बन गए, तथा 12 साल, 10 महीने और 13 दिन की उम्र में उन्होंने शतरंज में ग्रैंडमास्टर (जीएम) का खिताब अपने नाम किया। ऐसा करने वाले प्रगनाननंदा शतरंज के इतिहास में सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टरों में से एक थे। इसके अलावा उन्होंने शतरंज विश्व कप 2023 में, विश्व कप फाइनल में पहुंचने वाले दुनिया के सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने।
R Praggnanandhaa biography in Hindi
full name/ पूरा नाम | रमेशबाबू प्रगनाननंदा |
nickname/उपनाम | आर प्रगनाननंदा |
famous for/प्रसिद्ध | सबसे कम उम्र के शतरंज खिलाडी में से एक |
DOB/जन्मतिथि | 10 अगस्त 2005 |
birthplace/जन्मस्थान | तमिलनाडु, चेन्नई |
age/उम्र | 18 वर्ष (2023) |
profession/पेशा | शतरंज खिलाडी |
parents/माता-पिता | रमेश बाबू/नागलक्ष्मी |
siblings/भाई बहन | बड़ी बहन आर वैशाली |
title/ख़िताब | ग्रैंडमास्टर (2018) |
ranking/रैंकिंग | #19 |
religion/धर्म | हिन्दू |
nationality/राष्ट्रीयता | भारतीय |
R Praggnanandhaa career | आर प्रगनाननंदा का करियर
प्रगनाननंदा की करियर की बात करे तो उन्हों मात्र तीन वर्ष की उम्र से ही शतरंज खेलना शुरू किया, और शतरंज का जूनून उन्हें इस काबिल बना देगा उन्हें पता न था। 12 साल की उम्र में ही उन्होंने ग्रैंडमास्टर की उपाधि प्राप्त की। सबसे कम उम्र के शतरंज खिलाडी प्रगनाननंदा जन्म 10 अगस्त 2005 को चेन्नई में हुआ था। परिवार में उनके पिता रमेशबाबू बैंक में करते हैं। उन्होंने पोलियो से ग्रसित होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और बच्चों का अच्छे से पालन-पोषण किया। प्रगनाननंदा की बड़ी बहन वैशाली को भी यह खेल पसंद था और उन्हें देखकर ही प्रज्ञानानंद ने शतरंज खेलना शुरू किया।
बता दे की प्रगनाननंदा की बड़ी बहन भी एक बेहतरीन शतरंज खिलाडी है, तथा उन्होंने ग्रांडमास्टर की उपाधि प्राप्त की हुई है। अपने भाई को भी शतरंज खेलता देख उनकी बहन वैशाली भी चाहती थीं कि प्रगनाननंदा भी एक बेहतरीन चेस मास्टर बने, इसलिए उन्होंने टीवी में कार्टून कम देखें की सलाह दी, तथा प्रगनाननंदा को शतरंत का चालें भी सीखने में मदद की।
बड़ा बनने के लिए प्रगनाननंदा की सफलता में उनकी मां नागलक्ष्मी जी का भी बड़ा योगदान रहा है, यह बात उन्होंने अपने के इंटरव्यू में बता था। क्योकि बचपन से ही शतरंज से जुड़ने के कारण प्रगनाननंदा को उनकी माँ हर टूर्नामेंट में खेलने के लिए उन्हें लाने और ले जाने की जिम्मेदारी वह खुद ही उठाती थी। उनकी माँ ने उन्हें शतरंज खेलने के लिएक काफी प्रेरित किया।
12 साल की उम्र में बने ग्रैंडमास्टर
उन्होंने 10 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय मास्टर बन गए, तथा 12 साल, 10 महीने और 13 दिन की उम्र में उन्होंने शतरंज में ग्रैंडमास्टर (जीएम) का खिताब अपने नाम किया। ऐसा करने वाले प्रगनाननंदा शतरंज के इतिहास में सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टरों में से एक थे। इससे पहले भारत के महान खिलाडी विश्वनाथन आनंद 18 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बने थे। आनंद प्रगनाननंदा दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बने थे। उनसे आगे सिर्फ यूक्रेन के सिर्जी कर्जाकिन हैं। वह साल 1990 में सिर्फ 12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बन गए थे।
शतरंज विश्व कप 2023 के फाइनल में पहुंचना
भारत ऊँचा करने वाले के 18 वर्षीय ग्रैंडमास्टर आर प्रगनाननंदा फिडे विश्वकप शतरंज 2023 में फाइनल में पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के खिलाडी है। उन्होंने इस चैपियनशिप में दुनिया के नंबर वन खिलाडी मैग्नस कार्लसन को फाइनल में चाल चलने पर सोचने पर मजबूर कर दिया। हालाँकि वह फाइनल में अपना मैच हार गए लेकिन लाखो लोगों में अपनी चाप छोड़ गए। उन्होंने अपने सेमीफाइनल मैच में दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी फैबियानो कारुआना को हराया था, लेकिन फाइनल में नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन से हार गए। वह दुनिया के नंबर-1 खिलाड़ी के खिलाफ टाईब्रेकर में हार गए। उन्होंने इस टूर्नामेंट में दूसरी पोजीशन हासिल की और भारत देश को गर्व महसूस करवाया।
R Praggnanandhaa awards and achievements
प्रग्गनानंद को 2020 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
प्रग्गनानंद 12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर (जीएम) का खिताब हासिल करने वाले दुनिया के सबसे कम उम्र के शतरंज खिलाड़ी बन गए।
उन्होंने बहुत कम उम्र में इंटरनेशनल मास्टर (आईएम) की उपाधि हासिल की थी।
प्रग्गनानंद ने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शतरंज टूर्नामेंटों में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है।
प्रग्गनानंद ने भारत में कई राष्ट्रीय खिताब जीते हैं।
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नोट- यह संपूर्ण बायोग्राफी का क्रेडिट हम आर प्रगनाननंदा को देते हैं, क्योंकि ये पूरी जीवनी उन्हीं के जीवन पर आधारित है और उन्हीं के जीवन से ली गई है। उम्मीद करते हैं यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। हमें कमेंट करके बताइयेगा कि आपको यह आर्टिकल कैसा लगा?